हमारे लिए ऊर्जा के परम-स्रोत...

Monday, 26 August 2013

आज के दौर में-2



पर्याय प्रेम का हो गया, अब पैसा और सेक्स
जो जितना समृद्ध  है,  उतना उसका सेंसेक्स
                        ***
जिनको  अंकल मानकर, लड़की  करती बात
सपने  वो देखा करें, अब उसके ही दिन-रात
                        ***
सच पूछो तो मिट गया, बहन-भाई का प्यार
हर रिश्ते  में होने लगा, अब तो बस व्यापार


                        ***

Sunday, 25 August 2013

आज के दौर में-1




कोई  काम  ना  आएगा, झूँठी  सबकी  प्रीत
भावनाओं का मूल्य नहीं, सब स्वार्थ के मीत              
                        ***
कहाँ दरिंदे  कर सकें, अब  मानवता की  होड़
बलात्कार, हत्याओं का, साम्राज्य है चारों ओर                       
                        ***
अब  रिश्तों  में  टूट रहे,  देखो  कैसे  विश्वाश
ना  जाने  कैसी  हो  गई, ये  हवस  की  प्यास            

                        ***

Saturday, 24 August 2013

जिंदगी एक किताब



अपने मधुर गृह में आज़
स्मृत करता मैं विगत दिन
कहाँ चले गए
वो पल-छिन
दीवारों पर हैं अब
वो स्मृतियाँ शेष
ताकता रहता मैं
जिन्हें अक्सर अनिमेष

सुनते हुए मैं संगीत
करता याद पुराने मीत
पुराने दिन, पुरानी रात
पुराने पल, पुरानी बात
हो चुके अब वो पुराने गीत
गा चुका जिन्हें वक़्त कभी का
एक गुज़रा हिस्सा मेरी जिंदगी का
वो सब हैं अब एक फ़कत इतिहास
समूची जिंदगी बनती यूँ ही इतिहास
और फिर खो जाती ये किताब
बनने को फिर से लाज़वाब. 

Friday, 23 August 2013

मानव तुम ना हुए सभ्य



आज भी कई
होते चीरहरण
कहाँ हो कृष्ण
                ***
रही चीखती
क्यों नहीं कोई आया
उसे बचाने
                ***
निर्ममता से
तार-तार इज्ज़त
करें वहशी
                ***
हुआ वहशी
खो दी इंसानियत
क्यों आदमी ने
                ***
तमाम भय
असुरक्षित हम
कैसा विकास
                ***
कैसी ये व्यथा
क्यों रहे जानवर
पढ़-लिख के
                ***
वामा होने की
कितनी ही दामिनी
भोगतीं सज़ा
                ***
बेबस नारी
अजीब-सा माहौल
कैसा मखौल
                ***
ओ रे मानव
कई युग बदले
हुआ ना सभ्य

                ***

पिछले वर्ष दामिनी की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था! आज फिर से मुम्बई में युवा पत्रकार फोटोग्राफर महिला के साथ 5 दरिंदों ने जो कुछ किया, उससे मानवता एक बार फिर से शर्मसार हो गई! महिलाओं के लिए किए गए तमाम सुरक्षा के दावे ऐसे समय पर धरे रह जाते हैं! क्या हम कभी भी इतना सभ्य नहीं हो पाएँगे कि एक दूसरे को इज़्ज़त दे सकें, खासकर महिलाओं/बुजुर्गों का सम्मान कर सकें? हर तरफ से हम नारी पर ही क्यों हमला कर रहे हैं, चाहे वो भ्रूण हत्या की बात हो या दहेज की बलि चढ़ाए जाने की घटना हो या फिर शारीरिक/मानसिक/आर्थिक शोषण का मुद्दा हो, नारी ही क्यों इनकी भेंट चढ़ती है?? क्या हमारी शिक्षा/संस्कार अब खोखले हो चले हैं? हम आज खुद में इतना  सिमटते जा रहे हैं (या यूँ कहें कि असुरक्षा की भावना से विवश हो चले हैं) कि हमारी आँखों के सामने किसी बेबस नारी/पुरुष का शोषण होता है या उस पर हमला होता है और हम भीड़ का एक हिस्सा बनकर मात्र मूक दर्शक बने रह जाते हैं! यह समस्या धीरे-धीरे एक नासूर बनती जा रही है, इसका इलाज़ शीघ्र ही खोजा जाना ज़रूरी है! हम सभी को इसके प्रति जागरूक होना होगा! आइए हम सभी मिलकर अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देंवें, जिससे वो न केवल स्वयं बल्कि अपने आसपास भी एक स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण बना पाने में सक्षम हों! जिस दिन सब स्त्री/पुरुष, युवक/युवतियाँ, बूढ़े/बच्चे  खुली हवा में निर्भय होकर साँस ले सकेंगे, वो दिन ही असली आज़ादी का होगा और हम तभी सही अर्थों में शिक्षित और सभ्य कहलाएँगे!

हम इस घटना की निंदा करते हैं और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि पीड़ित बहन को एवं उसके परिज़नों को इस दुःख की बेला में आत्मबल देंवें और उसे पूरा इंसाफ़ मिले!

दामिनी की स्मृति में



जहाँ कहीं भी 
हो नारी का सम्मान 
बसें देवता 
***
अजीब व्याख्या 
करें चीरहरण 
पूजते नारी 
***
बदले युग 
मानव तुम कभी 
हुए ना सभ्य
***

Thursday, 22 August 2013

यह कैसा मखौल?


हर तरफ़ मारा-मारी
दब-दब कर
घुट-घुट कर
जीने की लाचारी
हर चीज़ के रोज बढ़ते दाम
कमरतोड़ महंगाई
भ्रष्टाचार और घोटालों की
ये कैसी बाढ़ आई
कुछ विशेष तो जेड सिक्यूरिटी में
पर आम आदमी के लिए  
असुरक्षा, अराज़कता
और भय का माहौल
आज़ादी के नाम पर
यह कैसा मखौल?

Sunday, 11 August 2013

जय जवान


आज प्रस्तुत हाइकु हमारे देश की आज़ादी को स्थापित करने और उसे सतत बनाए रखने के लिए हमारी सीमाओं पर दिन-रात ड्यूटी में लगे तमाम वीर सैनिकों/शहीदों  को सादर नमन करते हुए समर्पित हैं:

ऐ मेरे देश
तुझको समर्पित
मेरा सर्वस्व
    ***
लड़ा मौत से
अंतिम साँसों तक
देश के लिए
       ***
देश के लिए
हँसकर दे जान
वो ही महान
       ***
धन्य वो वीर
माँ की रक्षा के लिए
प्राण गँवाए
       ***
देश के लिए
हँसकर दी जान
जय जवान
       ***
गिद्ध के जैसे
सीमा पर प्रहरी
आँख गड़ाए
       ***
जय जवान
करते हिफ़ाज़त
तुम देश की

       ***

Monday, 5 August 2013

माँ.


पूरी  वो  करती   रहे  दिन भर  सबकी बात,
सदा ही  वो  खटती रहे  दिन होवे  या  रात!

सुबह  से लेकर रात तक तनिक चैन ना  पाय,
माँ   तो मानो हो गयी  बस सेवा  का  पर्याय!

जब  भी  मुझको आती  है गोबर की कहीं गंध,
उसमें छिपी दिखती है सदा माँ की मुझे सुगंध!

माँ  के  जैसा  गुरु  कहाँ  माँ  के  जैसा  प्यार,
माँ  के  चरणों  ही  तले  बसे  स्वर्ग  का  द्वार!

Sunday, 4 August 2013




मित्रता दिवस पर सभी मित्रों को हार्दिक शुभकामनाओं के साथ यह हाइकु समर्पित....

बनो यूँ बड़े
भूले नहीं सुदामा
मित्र तुमको.

HAPPY FRIENDSHIP DAY:-))

Dr. Sarika Mukesh

Saturday, 3 August 2013

आज का आदमी



अपनी ही पूँछ को
मुँह में भर लेने की
पवित्र इच्छा लिए
पागल कुत्ते की भांति
दौड़ता रहता है 
आज का आदमी
घूमता रहता है गोल-गोल
जैसे दौड़ती रहती है
सेकण्ड की सुईं
घड़ी के वक्ष पर
रात-दिन.