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Saturday, 3 August 2013

आज का आदमी



अपनी ही पूँछ को
मुँह में भर लेने की
पवित्र इच्छा लिए
पागल कुत्ते की भांति
दौड़ता रहता है 
आज का आदमी
घूमता रहता है गोल-गोल
जैसे दौड़ती रहती है
सेकण्ड की सुईं
घड़ी के वक्ष पर
रात-दिन.

3 comments:

  1. वाह्म बेहतरिन बिंब द्वारा बात कही आपने, बहुत ही सशक्त.

    रामराम.

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    1. आपका हार्दिक आभार!
      सादर राम राम,
      सारिका मुकेश

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  2. गहरा चिंतन ... आदमी भी तो जनवर होता जा रहा है ...

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