पर्याय प्रेम का हो गया, अब
पैसा और सेक्स
जो जितना समृद्ध है, उतना
उसका सेंसेक्स
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जिनको अंकल मानकर, लड़की करती
बात
सपने वो देखा करें, अब
उसके ही दिन-रात
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सच पूछो तो मिट गया, बहन-भाई का प्यार
हर रिश्ते में होने लगा, अब
तो बस व्यापार
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बहुत सही लिखा, आजकल प्यार और रिश्ते भी व्यापार ही तो हैं.
ReplyDeleteरामराम.
इस दौर में आदमी आदमीयत से ही दूर होता जा रहा है !
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