पिछले वर्ष
दामिनी की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था! आज फिर से मुम्बई में युवा
पत्रकार फोटोग्राफर महिला के साथ 5 दरिंदों ने जो कुछ किया, उससे मानवता एक बार
फिर से शर्मसार हो गई! महिलाओं के लिए किए गए तमाम सुरक्षा के दावे ऐसे समय पर धरे
रह जाते हैं! क्या हम कभी भी इतना सभ्य नहीं हो पाएँगे कि एक दूसरे को इज़्ज़त दे
सकें, खासकर महिलाओं/बुजुर्गों का सम्मान कर सकें? हर तरफ से हम नारी पर ही क्यों
हमला कर रहे हैं, चाहे वो भ्रूण हत्या की बात हो या दहेज की बलि चढ़ाए जाने की घटना
हो या फिर शारीरिक/मानसिक/आर्थिक शोषण का मुद्दा हो, नारी ही क्यों इनकी भेंट चढ़ती
है?? क्या हमारी शिक्षा/संस्कार अब खोखले हो चले हैं? हम आज खुद में इतना सिमटते जा रहे हैं (या यूँ कहें कि असुरक्षा की
भावना से विवश हो चले हैं) कि हमारी आँखों के सामने किसी बेबस नारी/पुरुष का शोषण
होता है या उस पर हमला होता है और हम भीड़ का एक हिस्सा बनकर मात्र मूक दर्शक बने
रह जाते हैं! यह समस्या धीरे-धीरे एक नासूर बनती जा रही है, इसका इलाज़ शीघ्र ही
खोजा जाना ज़रूरी है! हम सभी को इसके प्रति जागरूक होना होगा! आइए हम सभी मिलकर अपने
बच्चों को अच्छे संस्कार देंवें, जिससे वो न केवल स्वयं बल्कि अपने आसपास भी एक
स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण बना पाने में सक्षम हों! जिस दिन सब स्त्री/पुरुष, युवक/युवतियाँ,
बूढ़े/बच्चे खुली हवा में निर्भय होकर साँस
ले सकेंगे, वो दिन ही असली आज़ादी का होगा और हम तभी सही अर्थों में शिक्षित और सभ्य
कहलाएँगे!
हम इस घटना की
निंदा करते हैं और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि पीड़ित बहन को एवं उसके परिज़नों
को इस दुःख की बेला में आत्मबल देंवें और उसे पूरा इंसाफ़ मिले!
बड़ा ही निंदनीय और शर्मनाक
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