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Sunday, 13 November 2011

मिलन




फिर जन्मी
एक लता
पली और बढी...
और फिर एक दिन
लिपट गई वृक्ष से
वृक्ष भी
कुछ झुक गया
करने को आलिंगन
लता का                                                                                    

2 comments:






  1. आदरणीया सारिका मुकेश जी
    सादर सस्नेह अभिवादन !

    फिर जन्मी
    एक लता
    पली और बढी...
    और फिर एक दिन
    लिपट गई वृक्ष से
    औ’ वृक्ष भी
    कुछ झुक गया
    करने को आलिंगन
    लता का


    आहा !
    कितना सुंदर दृश्य उपस्थित किया है आपने मिलन का!

    आपकी रचनाएं मन को छू लेती हैं …


    बधाई और शुभकामनाओं सहित…
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  2. Beautifully written. My first visit to your blog and its really wonderful.
    Have a nice day:)

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