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Tuesday, 24 April 2012

तुम से दूर





ओ हमदम
तुम ऐसे बिछुडे़
फिर ना मिले


तुम से दूर
अक्सर यूँ लगे हो
ज्यों बनवास


तुमने ही तो
समझा बेगाना-सा
हमको सदा


अब तो सारे
पर्व करें निराश
ना कोई पास


पिया-पिया की
मन करे रटन
पपीहा बन     


नहीं अपना
संबंधी, कोई खास
ज्यों बनवास.

5 comments:

  1. भावनाओं को गहन अभिव्यक्ति दी है ...सुंदर हाइकु

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    1. हार्दिक आभार!
      सादर/सप्रेम
      सारिका मुकेश

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  2. बहुत सुंदर हायेकु...

    नहीं अपना
    रिश्तेदार, कोई खास(यहाँ ८ वर्ण हैं इन्हें ७ कर लीजिए)
    ज्यों बनवास.

    सादर.

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    1. This comment has been removed by the author.

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    2. ब्लॉग पर पधारने और त्रुटि की ओर ध्यान आकर्षित कराने के लिए हार्दिक आभार, संशोधन कर दिया है:

      नहीं अपना
      संबंधी, कोई खास
      ज्यों बनवास.

      सादर/सप्रेम
      सारिका मुकेश

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