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Tuesday, 17 April 2012

5 हाइकु


उम्र बढ़ती
घटती प्रतिपल
यह ज़िंदगी
        * 
कैसा विकास
आदमी को आदमी
काटता आज
       *
जवान बेटी
अँखियों में सपने
बेबस पिता
      *
मैं और तुम
यूँ रहे पास जैसे
पृथ्वी-आकाश
       *
खिले पलाश
कटे हुए पेड़-सा
मन उदास
     ***

4 comments:

  1. सभी हाइकु प्रभावशाली

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    1. हार्दिक धन्यवाद!
      सादर/सप्रेम
      सारिका मुकेश

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  2. बहुत ही बढ़िया।

    सादर
    ----
    ‘जो मेरा मन कहे’ पर आपका स्वागत है

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  3. वाह,
    बड़े सार्थक हाइकू !

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