अंतर्मन की लहरें Antarman Ki Lehren
सारिका मुकेश का ब्लॉग
Labels
English Poetry
(1)
आगामी संग्रह
(20)
एक किरण उजाला (काव्य-संग्रह)
(16)
कविता
(106)
खिल उठे पलाश (काव्य-संग्रह)
(21)
पानी पर लकीरें (काव्य-संग्रह)
(22)
पुस्तक समीक्षा
(7)
विविध
(22)
शब्दों के पुल
(19)
सम्मान
(1)
हथेली में चाँदनी
(7)
हवा में शब्द
(1)
हाइकु
(55)
हिंदी कविता
(133)
हमारे लिए ऊर्जा के परम-स्रोत...
Tuesday, 28 February 2012
पुरातत्व
पाषाणों में छिपी
इतिहास की गाथा
खो
जता उन्हें मनुष्य
जो नहीं हैं अब
और ना होंगे
फिर कभी
Tuesday, 7 February 2012
अगर समय से चेता होता
होता था
संवाद कभी
जो हममें
कालांतर में
कितना कुछ सहकर
ये जाना हमने
सुख बनकर के
आया था वो
दुःख हमको देने
काश
अगर ये हमने
तभी समय से
चेता होता
दुःख ने कहाँ
फिर हमको
यूँ घेरा होता
?
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)