ज़ेहन
में
जीवन
की किताब से
फडफडाकर खुलता है
अतीत
का एक पृष्ठ
और
मेरी आँखों के सामने
फैल
जाता है वो दृश्य
जब
तुम ले चुके थे
इस
संसार से विदा
और
धू-धू
कर जल रही थी
तुम्हारी चिता
तुम्हें कहाँ पता होगा
कि
उस वक़्त मेरे भीतर भी
ना
जाने कितना ही कुछ
जलकर
राख हो गया था-
ना
जाने कितनी ही आशाएं
कितने ही स्वप्न
कितनी ही आकांक्षाएं
और
कितने ही प्रयत्न
जो
तुम्हारे बिना
अधूरे हो गए हैं
सदा-सदा के
लिए
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