जिंदगी की
गाडी
जीवन भर
पटरियां ही
बदलती रही
ना जाने
कितनी ही
लाल बत्तियों
पर रूकी
और फिर
हरी बत्ती देख
चल पडी...
चलती रही...
लगातार बढती
रही
गंतव्य की
तलाश में
हाय कितनी
दूर था वो
लगता था
जो पास में
हाय कितनी दूर था वो लगता था जो पास में
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !!