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Friday, 12 July 2013

हुई सुबह



हो उठी प्रातः
पूरब दिशा लाल
निकला सूर्य

      ***

गूँजते भौरे
खिल उठी कलियाँ
हुई सुबह

      ***

नई ताजगी
खिला-खिला-सा मन
फैला उजाला

      ***

घौंसला छोड़
दाने की तलाश में
निकले पक्षी

      ***

मन में नेह
अलसाई-सी देह
हुई सुबह

      ***

देखो सूरज
हसीन सुबह से
करता प्यार

      ***

खिलती कली
उदित होता सूर्य
नये सपने

      ***

3 comments:

  1. भोर की ताज़गी लिए...बहुत सुंदर हाइकु!:-)

    ~सादर!!!

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  2. सम्पूर्ण अर्थ लिए हाइकु

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    1. आपका हार्दिक आभार अंजू जी!

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