हो उठी प्रातः
पूरब दिशा लाल
निकला सूर्य
***
गूँजते भौरे
खिल उठी कलियाँ
हुई सुबह
***
नई ताजगी
खिला-खिला-सा मन
फैला उजाला
***
घौंसला छोड़
दाने की तलाश में
निकले पक्षी
***
मन में नेह
अलसाई-सी देह
हुई सुबह
***
देखो सूरज
हसीन सुबह से
करता प्यार
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खिलती कली
उदित होता सूर्य
नये सपने
***
भोर की ताज़गी लिए...बहुत सुंदर हाइकु!:-)
ReplyDelete~सादर!!!
सम्पूर्ण अर्थ लिए हाइकु
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार अंजू जी!
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