भीष्म तुम भी
देखते रहे सब
क्यों चुपचाप?
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स्वयं को हार
द्रौपदी को लगाया
कैसे दाँव पे?
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युद्ध-भूमि में
कृष्ण दें अर्जुन को
गीता-संदेश
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पाँच पाँडव
जीतें महाभारत
साथ थे कृष्ण
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भूली नहीं वो
होना चीर-हरण
लिया बदला
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महाभारत
अन्याय के खिलाफ
बिछी बिसात
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भूलो ना कभी
होना चीर-हरण
बना मरण
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नारी, बेचारी!
द्रौपदी सीता पड़ीं
कितनी भारी
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सब जानकार भी आज भी नारी को कहाँ समझ पाते है सब लोग...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रेरक प्रस्तुति ...धन्यवाद
बढ़िया हाइकु
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (14 -07-2013) के चर्चा मंच -1306 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeleteवाह सारिका जी बहुत खूब ...आज इन हाइकु ने एक नई राह सूझा दी
ReplyDeleteमहाभारत वास्तव में हमारे लिए पथप्रदर्शक है।
ReplyDeleteवाह उत्तम हायकु... शुभ कामनाये ः)
ReplyDeleteसुंदर सीख भरे हाइकू ।
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