माँ
की गोद में
यूँ
खिल उठा बच्चा
जैसे
कमल
***
बच्चा
करता
ज़िद
चाँद छूने की
अपने
हाथों
***
रूप
सलौना
भाए
मन सबके
सदा-सदा
से
***
खिलता
पुष्प
आकर्षित
करता
अपनी
ओर
***
पके
फल पे
चारों
ही तरफ से
लगें
निशाने
***
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (07-07-2013) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/“ मँहगाई की बीन पे , नाच रहे हैं साँप” (चर्चा मंच-अंकः1299) <a href=" पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
. बहुत सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति आभार क्या ये जनता भोली कही जाएगी ? आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -5.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN लड़कों को क्या पता -घर कैसे बनता है ...
ReplyDeleteमैं भी कितना भुलक्कड़ हो गया हूँ। नहीं जानता, काम का बोझ है या उम्र का दबाव!
ReplyDelete--
पूर्व के कमेंट में सुधार!
आपकी इस पोस्ट का लिंक आज रविवार (7-7-2013) को चर्चा मंच पर है।
सूचनार्थ...!
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बहुत सुन्दर सार्थक हाइकु...
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