जीवन
एक मॉडर्न पेंटिग
जब कभी सोचा
मैंने एकांत में
जीवन मालूम 
पड़ा मुझे
किसी मॉडर्न 
पेंटिग की तरह
आड़ी-तिरछी लकीरें 
एक सुंदर 
पहेली के जैसा 
जिसे सुलझाने में
शायद
बीत जाये उम्र 
और फिर भी
शायद 
जो ना सुलझे कभी ∙
(कविता संग्रह 'पानी पर
लकीरें' से)
ये पहेली ऐसी है जितना सुलझाने का प्रयास करो और उलझती जाती है ।
ReplyDeleteसुन्दर .भावात्मक अभिव्यक्ति ह्रदय को छू गयी आभार नवसंवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनायें दादा साहेब फाल्के और भारत रत्न :राजनीतिक हस्तक्षेप बंद हो . .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-1
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