हमारे लिए ऊर्जा के परम-स्रोत...

Saturday, 13 April 2013






 पत्र की महिमा

एकाएक ही पुरानी डायरी में
रखा मिल गया एक पत्र
और ताजा हो उठी 
एक गुजरे जमाने की याद
कितना अच्छा लगता था 
जब हम करते थे 
डॉकिये की प्रतीक्षा
और भर उठते थे खुशी से 
जब डॉकिया लाता था पत्र 
हमारे प्रियजनों का

तुरंत होती थी उत्सुकता देखने की
कि कहाँ से आया है 
और किसका है ये पत्र
और फिर अगले ही पल 
खोलकर बैठ जाते थे पढने
और फिर पढते थे 
एक बार, दो बार...
ना जाने कितनी ही बार

कितना सुखद लगता था पत्र पढना 
उसमें एक अनजाना सा अपनापन था
आज भी जब पुराने पत्र 
रखे मिल जाते हैं
तो उन्हें पढने में
होती है एक सुखद अनुभूति
और जो आपको देती है आलंबन
जब कभी भी तलाश में हों 
आप  किसी सहारे के
किसी मानसिक संबल के

पत्र की यह विशेषता है कि 
पत्र लिखा तो एक बार जाता है
पर उसे कई बार 
पढने की स्वतंत्रता है 
और यह सुविधा भी 
कि रख लो उसे धरोहर के रूप में 
अपने पास सदा-सदा के लिये
और पढ लो किसी भी पल 
और कहीं भी 
जब कभी भी मन हो उदास 

अब नहीं आता डाँकिया
बंद हो गए हैं अब पत्र
अब तो सारा काम 
चल जाता है फोन से  
ई-मेल से, एस.एम.एस से
पर पत्रों की आत्मीयता और अपनापन 
ये सब कभी नहीं ले सकते.
 
(कविता संग्रह 'खिल उठे पलाश' से साभार)

2 comments:

  1. बिल्कुल सही फ़रमाया आपने सारिका जी!
    हमने तो आज भी सारे पत्र सॅंजो कर रक्खे हुए हैं... :-)
    ~सादर!!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. फूल की खुश्बू से महकते हैं पुराने पत्र...हमारे पास भी सैंकड़ो रखे हैं...इस हिसाब से आप भी हमख्याल निकलीं...
      प्रतिक्रिया के लिए आभार...नवरात्रे की शुभकामनाएँ!
      सादर/सप्रेम

      Delete

आपकी प्रतिक्रिया हमारा उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन करेगी...