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Monday, 15 April 2013






जीवन एक मॉडर्न पेंटिग

जब कभी सोचा
मैंने एकांत में
जीवन मालूम
पड़ा मुझे
किसी मॉडर्न
पेंटिग की तरह
आड़ी-तिरछी लकीरें
एक सुंदर
पहेली के जैसा
जिसे सुलझाने में
शायद
बीत जाये उम्र
और फिर भी
शायद
जो ना सुलझे कभी ∙


(कविता संग्रह 'पानी पर लकीरें' से)

2 comments:

  1. ये पहेली ऐसी है जितना सुलझाने का प्रयास करो और उलझती जाती है ।

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  2. सुन्दर .भावात्मक अभिव्यक्ति ह्रदय को छू गयी आभार नवसंवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनायें दादा साहेब फाल्के और भारत रत्न :राजनीतिक हस्तक्षेप बंद हो . .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-1

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