कम्प्यूटर के इस युग में
अजीब आई आँधी
रोल-माडल बने
अब सलमान, शाहरुख़
बच्चे भूल गए
सुभाष और गाँधी
महत्त्वाकांक्षी होते चले गए सपने
दूर होते चले गए अब हमसे अपने
खत्म हुआ अब वो मिलना-जुलना
वो हँसी-ठहाके वो मुलाकातें
खुद में सिमट कर रह गए हैं हम
अब नहीं होतीं आपस में घंटों बातें
बदल चुका है अब सब कुछ
बदले हम, बदल गए हालात
काम ही काम रह गया है अब
मर से गए हैं अब सब ज़ज़बात
अब तो मिलना-जुलना होता है अक्सर
ब्लॉग, फ़ेसबुक,
टूटू और ट्वीटर पर
इस सदी का दोस्तों
बस यही एक ट्रेंड है
पूरे का पूरा परिवार
आज फेसबुक पर फ्रैंड है...
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आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार१६/७/१३ को चर्चामंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है
ReplyDeleteचर्चामंच में हमारी इस पोस्ट को स्थान देने हेतु आपका हार्दिक आभार!
Deleteसादर/सप्रेम,
डॉ. सारिका मुकेश
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज मंगलवार (16-07-2013) को मंगलवारीय चर्चा --1308--- भुंजे तीतर सा मेरा मन में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हमारी इस पोस्ट को स्नेहात्म्क प्रतिक्रिया और साथ ही मंगलवारीय चर्चा --1308--- भुंजे तीतर सा मेरा मन में "मयंक का कोना" पर स्थान देने हेतु आपका हार्दिक आभार!
Deleteसादर/सप्रेम,
डॉ. सारिका मुकेश
वर्तमान का सच
ReplyDeleteसार्थक सच-को व्यक्त करती रचना
बधाई
आपका हार्दिक आभार!
Deleteसादर/सप्रेम,
सारिका मुकेश
वर्तमान का सच
ReplyDeleteसार्थक सच-को व्यक्त करती रचना
बधाई
आपका हार्दिक आभार!
Deleteसादर/सप्रेम,
सारिका मुकेश