यथार्थ के
धरातल पर
खड़े होकर चाहिए
जीने के लिए पैसा
रहने के लिए घर
खाने को रोटी
पहनने को कपड़ा
मैं भी जरूर पढ़ूँगा
पर पहले
यह बता दो
क्या मुझे
यह सब कुछ
दे सकती है
तुम्हारी कविता?
महा मने ! कविताओं, कवित्त मयी गाथाओं, महाग्रंथ-मालाओं को केवल वक्तव्य कर, कथावाचक कोटि कोटि के पति बन गए, आप कहाँ प्रेमी में अटके हो.....
ReplyDeleteयह तो फाँकामारों की वस्ति है ,य़हां कुछ नहीं मिलेगा
ReplyDeletenew postकिस्मत कहे या ........
New**अनुभूति : शब्द और ईश्वर !!!
new postकिस्मत कहे या ........
New**अनुभूति : शब्द और ईश्वर !!!
That's called magic . . When you explain the Bitter truth of life in simple words . . ! :)
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