कल अचानक ही मिल गया एक पुराना कवि
तुरंत पहचान गया हमारी कवि वाली छवि
कुशलक्षेम पूछने के उपरांत
अपनी जिज्ञासा करने को शांत
उसने अपना मुँह खोला
और बडे ही प्रेम से बोला-
आपको देखकर लगता है आप अच्छी लिखी-पढी हैं
फिर आप क्यों कविता लिखने के इस पचडे में पडी हैं
किसी अच्छी मल्टीनेशनल कंपनी में चली जाईए
और फिर आराम से अपना जीवन बिताइए...
मैने उसे बीच में ही टोका
अपनी बात कहने को रोका
मैंने उससे तुरंत पूछ डाला-
कविता करने में क्या बुराई है?
कविता हमारे मन की गाँठों को खोलती है
जो हम ना कह सकें कविता वो भी बोलती है
अंतर्मन की पीडा से मुक्त होने को
लिखता आ रहा है मानव युगों-युगों से
तुलसी ने भी लिखी थी रामायण
स्वान्तः सुखायः के लिए
जो आज ना जाने
कितनों के ही मन को करती है शांत
और भर देती है अपार सुख से
फिर क्यों तुम
पूछते हो मुझसे
कि मैं क्यों लिखती हूँ
अगर पूछना ही है
तो यह पूछो
कि मैं कैसे लिखती हूँ
पुराने कवि ने अपने जीवन में
ना जाने कितना होगा सहा
उसी को ध्यान में रखते हुए उसने
बडी ही विनम्रता से मुझसे कहा-
मैडम! सिर्फ कविता लिखने से ही
पेट तो नहीं भरा जा सकता
ना ही कोई खाली पेट
पढेगा तुम्हारी पुस्तक
लिखने-पढने के लिए भोजन जरूरी है
इसीलिए पूछता हूँ
जीविका चलाने के लिए
तुम क्या करती हो
सिर्फ कविता ही लिखती हो
या कभी अपना और अपने परिवार में
भूखे व्यक्ति का पेट भी भर देती हो..
सुंदर भाव !
ReplyDeleteहिंदी लेखन, लेखक और पाठक पर सुन्दर कटाक्ष, बधाई.
ReplyDeleteAwesome lines!!!! Touches d heart so deeply
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