कल पढते-पढते
एकाएक ही
किताब में रखा हुआ
मिल गया एक फूल
और याद दिला गया-
गुज़रे हुए कितने ही हसीं पल
वो हँसता हुआ चेहरा
प्यार से वो आँखें छलछल
ना जाने कितनी ही कसमें
जो कभी निभाई ना जा सकी
और ह्र्दय की ऐसी कुछ बातें
जो कभी बताई ना जा सकीं
ना जाने कितने ही वादे
जो ना हो सके कभी पूरे
और ना जाने कितने ही ख्वाब
जो रह गए हमेशा के लिए अधूरे
याद आ गईं और भी
ना जाने कितनी ही बातें
वो उसका बिछुड़ जाना
और वो हसीन मुलाकातें
अतीत की कितनी ही
खट्टी-मीठी यादों से
मन को भिंगो जाता है
जब कभी पढते-पढते
किताब में कोई फूल
रखा हुआ मिल जाता है
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (17-11-2013) को "लख बधाईयाँ" (चर्चा मंचःअंक-1432) पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
गुरू नानक जयन्ती, कार्तिक पूर्णिमा (गंगास्नान) की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (17-11-2013) को "लख बधाईयाँ" (चर्चा मंचःअंक-1432) पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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गुरू नानक जयन्ती, कार्तिक पूर्णिमा (गंगास्नान) की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteनई पोस्ट मन्दिर या विकास ?
नई पोस्ट लोकतंत्र -स्तम्भ
अच्छी रचना, बहुत सुंदर
ReplyDeleteकुछ चीजें ऐसी होती हैं जो सबके साथ होती है,
लेकिन उसको शब्दों मे ढालना वाकई कठिन है।
आपकी रचना हर व्यक्ति कि कहानी लग रही है।
Awesome Lines...
ReplyDeleteपूरी उम्र सिमटी होती है कई बार तो उस एक फूल में ...
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना ...
बहुत सुन्दर भाव पूर्ण प्रस्तुति
ReplyDeleteSuperb poem!!!!!
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