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Friday, 15 November 2013

शाम



दिन की
ल्हाश को ढोती
रात्रि के
मरघट की ओर
सरक-सरक कर
ले जाती
उदास-उदास सी
शाम.                                                                         
  

1 comment:

  1. उफ्फ...दिल को छूते अहसास...

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