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Tuesday 2 July 2013

5 हाइकु




विचित्र लगे   
रोज होता उत्सव
मधुशाला में

मिटते यहाँ
भेद-भाव सबके
मधुशाला में

आसमान की
रस्सी पर लटके
ये चाँद-तारे   

रोज देखती
रस्सी पर झूलती
जवाँ चाँदनी

रोज सूखती
अलगनी पे देखो
छत पे धूप.


1 comment:

  1. वाह बहुत सुंदर और अर्थपूर्ण हाइकू
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    बधाई

    जीवन बचा हुआ है अभी---------

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