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Thursday, 6 June 2013

5 हाइकु


डूबता सूर्य
मदहोश-सी शाम
कैसा अंजाम

दिन का कत्ल
रोज करे सूरज
तो भी महान

उम्र की गाड़ी
दौड़ती प्रतिपल
मृत्यु की ओर

लगाए मन
"और-औररटन
पपीहा बन

कविता जन्मीं
पली और बढ़ी भी
मेरे मन में.

5 comments:

  1. प्रभावशाली सुंदर हाइकू
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    सादर

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    1. हार्दिक आभार!
      सादर,
      सारिका मुकेश

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज शुक्रवार (07-06-2013) को पलटे नित-प्रति पृष्ट, आज पलटे फिर रविकर चर्चा मंच 1268 में "मयंक का कोना" पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. "पलटे नित-प्रति पृष्ट, आज पलटे फिर रविकर चर्चा मंच 1268 में "मयंक का कोना" के अंतर्गत अपनी प्रविष्टि देखकर आह्लादित हुए, आपको हार्दिक धन्यवाद!
      सादर,
      सारिका मुकेश

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज शुक्रवार (07-06-2013) को पलटे नित-प्रति पृष्ट, आज पलटे फिर रविकर चर्चा मंच 1268 में "मयंक का कोना" पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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