अंतर्मन की लहरें Antarman Ki Lehren
सारिका मुकेश का ब्लॉग
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Saturday, 18 May 2013
आदमी हर जगह एक सा है
राह नहीं कोई
अनजानी
-
सी
बस्ती लगीं
सब
मुझे पहचानी
-
सी
मैंने देखा
अक्सर आदमी
हर जगह
एक सा बसता है
बाहर
-
बाहर
न
फरत करता
अंदर
-
अंदर
प्रेम को
तरसता है
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