हमारे लिए ऊर्जा के परम-स्रोत...

Friday, 17 May 2013





झूँठी आस

तुम अपने 
कोमल मन में
लगाए बैठे हो
न जाने
कितनी ही
झूँठी आस
पर नहीं मिल सकेगा
तुम्हें वो सब कुछ
कभी मेरे पास
क्योंकि
मेरे पास तो है
सिर्फ़ दर्दों का
एक काफ़िला
खरोंचा हुआ प्यार
लहुलुहान ह्रदय
और
                           टूटी हुई-सी प्यास

1 comment:

  1. भावनात्मक अभिव्यक्ति .पूर्णतया सहमत .आभार . ये गाँधी के सपनों का भारत नहीं .

    ReplyDelete

आपकी प्रतिक्रिया हमारा उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन करेगी...