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Wednesday, 3 April 2013





यह सच है......क्योंकि...

यह सच है कि हम दोनों ने एक दूसरे से कभी बातचीत नहीं की
              क्योंकि शायद हम कभी मूक नहीं थे 
यह सच है कि हमने कभी एक दूसरे के ह्रदय में नहीं देखा
              क्योंकि शायद हमारी आँखे हमेशा खुली रहीं
यह सच है कि हम दोनों कभी एक दूसरे के निकट न आ सके
              क्योंकि शायद हम एक दूसरे से जुदा कभी नहीं रहे
यह सच है कि हम दोनों ने एक दूसरे को कभी आलिंगन नहीं किया
              क्योंकि शायद हमारी ऊष्मा कभी कम नहीं हुई
यह सच है कि हम कभी भी बहुत घनिष्ठ नहीं रहे  
              क्योंकि शायद हम कभी एक दूसरे से अलग नहीं थे
यह सच है कि हमने एक दूसरे को दुःख पहुँचाया
              क्योंकि शायद हम एक दूसरे परिपक्व बनाना चाहते थे
यह सच है कि हमने एक दूसरे को कभी प्रेम नहीं किया
              क्योंकि शायद हम युगों-युगों से प्रेमी थे
यह सच है कि हम कभी एक दूसरे से नहीं मिलेंगे
              क्योंकि शायद हम कभी एक दूसरे से दूर हैं ही नहीं...


                             —मूल अंग्रेजी में: डा. तृष्णा पटेल
                              हिंदी में अनुवादडा. सारिका मुकेश 

4 comments:

  1. गहन अनुभूति बेहतरीन सुंदर सहज सार्थक रचना
    मन को छूती सुंदर अहसास
    बहुत बहुत बधाई

    आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
    मुझे ख़ुशी होगी

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    1. हार्दिक आभार...अभी-अभी आपके ब्लाग में सम्मिलित हो गए हैं...मंगल कामनाओं सहित
      सादर/सप्रेम
      सारिका मुकेश

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  2. बहुत ही खूबसूरत और गहन भाव लिए हुए रचना...!
    हम सब यही समझ लें...तो किसी से कोई बैर भला हो ही क्यों...?
    ~सादर!!!

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  3. आपकी गहन प्रतिक्रिया के लिए आपका ह्रदय से बहुत-बहुत आभार!
    मंगल कामनाओं सहित,
    सादर/सप्रेम

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