तुम्हारी आँखें
क्यों दिल में जलातीं
आशा के दीप
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जल
उठे दीप
जागी एक किरण
जाग उठा विश्वाश
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छू
ले आकाश
मेरे मन के पाखी
देते विश्वास
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सुंदर अतिसुन्दर अच्छी लगी, बधाई
ReplyDeleteआभार सुनील जी!
Deleteबहुत सुन्दर हाइकू.
ReplyDeleteधन्यवाद!
Deletekhubsurat kshanikayen...:)
ReplyDeleteधन्यवाद...परन्तु ये क्षणिकाएँ नहीं हाइकु हैं मुकेशजी!
Deleteसुंदर ज्योति से उजले हाईकु !
ReplyDelete~सादर!!!
ज्योतिपूर्ण शब्दों के लिए आभार!
Deletesarika ji aapke blog par aakar sukhad anubhuti hui , haiku bahut sundar hai , kavye ki dhaara ka aapka yah roop hamen dekhne ko mila , shubhkamnaye .
ReplyDeleteआपके स्नेहमयी शब्दों के लिए हार्दिक आभार! ऐसे ही कभी-कभी पधारकर मार्गदर्शन कराती रहें!
Deleteसादर/सप्रेम
सारिका मुकेश