पिछले दिनों
समाचारों में धार्मिक आस्था और विश्वाश को एक तथाकथित धर्म गुरु द्वारा छलनी करती
खबर से सब देशवासी हतप्रभ रह गए; उसी को विषय बनाया है हमने इन हाइकुओं में:
वाह रे संत
आस्था के नाम
पर
ये धोखाधड़ी
***
अक्सर ले के
बचे फिरते
दुष्ट
धर्म की ओट
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कैसा ये काम
क्यों किया
बदनाम
राम का नाम
***
वाह रे वाह
संत की खाल
ओढ़े
छिपा भेड़िया
***
लूटे इज़्ज़त
बनता दादा
नाना
पुकारे बेटी
***
देता था
मुक्ति
अब ना काम आई
क्यों कोई
युक्ति
***
टूटी अकड़
चढ़ा पुलिस
हत्थे
बोलती बंद
***
सच ही कहा
भरने पर फूटे
पाप का घड़ा
***
करे जो बुरा
उसका बुरा अंत
ये कहें संत
***
very right haiku sarika ji
ReplyDeleteआज का समय सोच समझ के चलने का है ... अंधभक्ति जरूरी नहीं ... गुरु की परीक्षा तो विवेकानंद ने भी ली थी ...
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