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Saturday, 20 July 2013

आशी और काशी


चार बरस की आशी
और पाँच वर्षीय काशी में
आपस में बडा है मेल
वो एक साथ पढते हैं
और एक साथ खेलते हैं खेल

आशी खेलती है अपने किचन में
खाना, चाय, कॉफी बनाने का खेल
काशी  खेलता है फुटबाल, क्रिकेट
बैडमिंटन और पुलिस-जेल
आशी रचाती है अपनी गुडिया का विवाह
काशी बनता है दूल्हे का पिता
मैंने पाया है अक्सर
उनके बीच काफी है विषमता
काशी है थोडा कठोर
और आशी में छिपी है ममता
काशी में है वर्चस्व दिखाने की भावना
आशी में है सर्वस्व लुटाने की भावना

क्या यह सच नहीं है
कि ईश्वर लडकी में बचपन से ही
सहिष्णुता और ममता जगा देता है
लडका खुद को अहम् मानता है
और सदा अपना पुरूषत्व दिखाता है

सोचती हूँ
लडका और लडकी
बचपन से ही रहे बेमेल
जैसे साथ-साथ चलते हुए भी
एक दूसरे से कभी ना मिलने वाली

दो समानांतर रेल 

4 comments:

  1. नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (21 -07-2013) के चर्चा मंच -1313 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    साझा करने के लिए शुक्रिया!

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  3. यह शायद उस घुट्टी की वजह से है जो बचपन से पिलाई जाती रही है दोनों आशी और काशी को.....इस समाज को ....और उसीके अनुरूप ढालती रही है ...पर अब हमें ही बदलाव लाना होगा ...है न...!!!

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  4. प्रशंसनीय रचना -
    साझा करने के लिए शुक्रिया !
    शब्दों की मुस्कुराहट पर .... हादसों के शहर में :)

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