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Thursday, 18 July 2013

यही तो रहता है हर किसी का सपना

  
अपना पति, अपनी पत्नी
अपने बच्चे, अपना घर-बार
अपनी दुकान, अपनी नौकरी
अपनी बचत, अपना रोजगार
अपनी देह, अपना स्वास्थ्य
अपनी गाडी़, अपनी सवारी
अपनी आय, अपना बैंक-बैलेंस
अपनी गर्ल-फ़्रैन्ड
अपना ब्वॉय-फ़्रैन्ड
और भी
जितना कुछ हो ज़रूरी
सब कुछ हो
और
अच्छा हो अपना
यही तो रहता है
यहाँ हर किसी का सपना ∙ 
 

2 comments:

  1. bilkul aamadmi ki soch ko jodti hui rachana .........hr insan sirf bhautikta se lipt sapno ko hi sajota hai pr ye kabhi nahi sapne sajota ki

    apni mrityu
    apna moksh
    apna puny
    apna samarthy
    apna pap
    apna prashchit
    apna karj

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    Replies
    1. बहुत अच्छी बात कही है आपने! यदि आदमी जीवन के सत्य को जान ले तो फिर सांसारिक माया से लिप्त ना होगा और फिर ना तो कंचन मृग होगा और ना रामायण!
      प्रतिक्रिया देने हेतु आपका हार्दिक आभार!
      सादर/सप्रेम,
      सारिका मुकेश

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