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Monday 3 June 2013

क्या तुमने देखी है ऐसी कविता


नंगों का
ढक दे तन
भूखों की
मिटा दे भूख
प्यासे को
पिला दे पानी
बूढे को
दिला दे यौवन
यौवन में
ला दे बचपन
क्या तुमने
देखी है कहीं
ऐसी कविता.         

3 comments:

  1. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार ४ /६/१३ को चर्चामंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आप का वहां हार्दिक स्वागत है ।

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    1. आपका हार्दिक आभार दीदी!
      सादर/सप्रेम
      सारिका मुकेश

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    अब आपके ब्लॉग की भी फीड मिलती रहेगी!
    इससे चर्चा में लेने में सरलता रहेगी।

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