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Sunday, 26 May 2013

हम सभी के भीतर कुएं हैं





हम सभी के भीतर कुएं हैं-
अंधेरे कुएं-
निराशाओं के
संभावनाओं के
आशाओं के
समय-समय पर
हम उतरते हैं उनमें
और ले आते हैं भरकर
थोड़ी सी उदासी
थोड़ी सी निराशा 
थोड़ी सी खुशी 
थोड़ी सी आशा ∙ 

3 comments:

  1. जीवन का सार्थक सन्देश देती कविता

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  2. वाह मन के अंधेरों को झांकती रचना
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
    सादर

    आग्रह हैं पढ़े
    ओ मेरी सुबह--
    http://jyoti-khare.blogspot.in

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  3. विचारणीय प्रस्तुति बहुत सुन्दर .आभार . तेरे हर सितम से मुझको नए हौसले मिले हैं .''
    साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN

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