14 फरवरी को लोकपाल बिल के
मुद्दे पर दिल्ली विधानसभा में खूब हंगामा हुआ और तत्कालीन मुख्यमंत्री (दिल्ली)
ने अपना इस्तीफ़ा दे दिया...एक बार फिर से आन्दोलन/स्वतंत्रता की दूसरी
लड़ाई/भ्रष्टाचार/एक दूसरे को पछाड़ने/उखाड़ फेंकने के स्वर तेज हो उठे हैं...इसी
परिवेश पर चंद हाइकु हमारी ओर से:
बदली हवा
नहीं चलेगी अब
वो राजनीति
*
तोड़ने होंगे
वर्तमान में बने
सत्ता के किले
*
सोचता मन
कैसा ये जनतंत्र
त्रस्त है जन
*
(चित्र: गूगल से साभार)
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बाद नसीब
ReplyDeleteजनता हैं या देश
कठिन प्रश्न !
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