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Sunday, 16 February 2014



14 फरवरी को लोकपाल बिल के मुद्दे पर दिल्ली विधानसभा में खूब हंगामा हुआ और तत्कालीन मुख्यमंत्री (दिल्ली) ने अपना इस्तीफ़ा दे दिया...एक बार फिर से आन्दोलन/स्वतंत्रता की दूसरी लड़ाई/भ्रष्टाचार/एक दूसरे को पछाड़ने/उखाड़ फेंकने के स्वर तेज हो उठे हैं...इसी परिवेश पर चंद हाइकु हमारी ओर से:

बदली हवा
नहीं चलेगी अब
वो राजनीति
      *
तोड़ने होंगे
वर्तमान में बने
सत्ता के किले
      *
सोचता मन
कैसा ये जनतंत्र
त्रस्त है जन

      *

(चित्र: गूगल से साभार)

1 comment:

  1. बाद नसीब
    जनता हैं या देश
    कठिन प्रश्न !
    latest post प्रिया का एहसास

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