गुरु गोविन्द
दोऊ खड़े, काके लागूँ पाय,
बलिहारी गुरु
आपनौ, गोविन्द दियो बताय
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यह तन विष की बेल री, गुरु
अमृत की खान,
शीश दिए से गुरु मिले, तो भी
सस्ता जान
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कबीरदास
के इन दो दोहों के साथ आप सभी को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ; आइए नमन
करें गुरु, माता-पिता, ईश्वर और उन सभी श्रेष्ठ और विद्वजनों को जिनके स्नेह, आशीष
और मार्गदर्शन से हम आज यहाँ तक पहुंचे हैं...
सादर/सप्रेम
सारिका मुकेश
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