भीष्म तुम भी
देखते रहे सब
क्यों चुपचाप?
वाह रे कृष्ण
सारथी बने तुम
प्रेम के लिए
स्वयं को हार
द्रौपदी को लगाया
कैसे दाँव पे?
युद्ध-भूमि में
कृष्ण दें अर्जुन को
गीता-संदेश
बताना कृष्ण
कौन है तुम्हें प्रिय
राधा या मीरा?
रास रचाते
अब भी मथुरा में
क्या तुम कृष्ण?
निधि-वन में
सुना है आज तक
रास रचाते
निधि-वन में
गोपियों संग कृष्ण
रास रचाते
अभी भी आते
क्या तुम हर रात
निधि-वन में
पाँच पाँडव
जीतें महाभारत
साथ थे कृष्ण
सारथी बन
तुमने अर्जुन का
चलाया रथ
भूली नहीं वो
होना चीर-हरण
लिया बदला
महाभारत
अन्याय के खिलाफ
बिछी बिसात
भूलो ना कभी
होना चीर-हरण
बना मरण
नारी, बेचारी!
द्रौपदी सीता पड़ीं
कितनी भारी
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