हमारे लिए ऊर्जा के परम-स्रोत...

Tuesday, 13 November 2012

दीपावली पर हाइकु



आई दिवाली
काली अँधेरी रात
हुई रौशन
      ***
पूजा-अर्चना
दीप हुए रौशन
हर्षित मन
      ***
चले पटाखे
ढेर सारी मिठाई
खील-बताशे
      ***
बिखरा किए
फुलझड़ी के फूल
खुश हों बच्चे
      ***
चमके मन
दहका जो अनार
फूल हजार
      ***
दीपों की माला
खूब छटा बिखेरे
अन्धकार में
      ***
हो मीठी बोली
प्रसन्नता का धन
दीपों-सा मन
***
दीप-से बनो
बिखराओ उजाला
मिटाओ तम
      ***

एक किरण
उजाला भरा प्याला
तुम्हें सादर
      ***
            दीपावली पर आप सभी को
                हमारी
          हार्दिक  शुभकामनाएँ!

Wednesday, 31 October 2012


यादों की फाँस          


              छीन ले गई
              मन का सारा चैन
              उसकी याद
                   ***
       
              जब भी आई
              चुभो गई नश्तर
              मेरे सीने में
                   ***

              हुआ उदास
              जब चुभी मन में
              यादों की फाँस          
                   ***

Sunday, 26 August 2012

महाभारत/कृष्ण/द्रौपदी पर 15 हाइकू


भीष्म तुम भी
देखते रहे सब
क्यों चुपचाप?          

वाह रे कृष्ण
सारथी बने तुम
प्रेम के लिए             

स्वयं को हार
द्रौपदी को लगाया
कैसे दाँव पे?              

युद्ध-भूमि में
कृष्ण दें अर्जुन को
गीता-संदेश             

बताना कृष्ण
कौन है तुम्हें प्रिय
राधा या मीरा?

रास रचाते
अब भी मथुरा में
क्या तुम कृष्ण?        

निधि-वन में
सुना है आज तक
रास रचाते                

निधि-वन में
गोपियों संग कृष्ण
रास रचाते              

अभी भी आते
क्या तुम हर रात
निधि-वन में             

पाँच पाँडव
जीतें महाभारत
साथ थे कृष्ण            

सारथी बन
तुमने अर्जुन का
चलाया रथ             

भूली नहीं वो
होना चीर-हरण
लिया बदला            

महाभारत
अन्याय के खिलाफ
बिछी बिसात           

भूलो ना कभी
होना चीर-हरण
बना मरण               

नारीबेचारी!
द्रौपदी सीता पड़ीं
कितनी भारी           
          *******

Sunday, 5 August 2012


दिल में  जो दर्द  है  आँखों में छुपा लेते हैं,
हम  तेरी  याद को  पलकों पे सजा लेते हैं!
किस्सा अब तेरी बेवफाई का यूँ आम हुआ,
गैर  तो गैर  अब अपने  भी  मजा  लेते हैं!

Saturday, 4 August 2012


हर   सिम्त   अब   तो   तन्हाईयों का मौसम है,
दर्द  जो  तुमने   दिये  हैं    वो  ही  हमराज  मेरे!
छलका  करती  हैं  आँखें  तो  कभी  छलके हँसी,
टूटे  सपनों का  पता देते  हैं   वो  सब  आज मेरे!
अब तो कुछ भी नहीं  मेरे दामन  में खामोशी है,
गीत  के बोल  थे वो  ही  साज  और आवाज मेरे!
एक मुलाकात में ही बना लेता था अपना सबको,
हुआ करते थे  कभी  मिलने  के  ऐसे अंदाज मेरे!

Thursday, 26 July 2012


दिल में एक दर्द-सा अक्सर उभरता क्यों है
जो तुझे भूल गया याद तू उसे करता क्यों है
मुझे मालूम है उससे नहीं अब रिश्ता कोई
हवा में चेहरा फिर उसका यूँ तिरता क्यों है
                     *******
ये बुरा दौर है इसमें किसी से क्या शिकवा
आग लगती है तो खुद अपने पत्ते हवा देते हैं
मर्ज क्या खाक ठीक होगा मेरा ऐ ’मुकेश’
जख्म देने वाले ही जब मुझको दवा देते हैं
                    *******

Tuesday, 5 June 2012

योगदान




हम अकेले कुछ नहीं कर सकते
कितनी ही उपलब्धियाँ
जुड जाए हमारे नाम के साथ
पर सच तो यही है
कि उनमें होता है
ना जाने कितनों का ही
महत्त्वपूर्ण योगदान
जिनके नाम कभी नहीं लिए जाते
और शायद हम भी नहीं करते
कभी उन पर ग़ौर
और बिसरा देते हैं उन्हें
पर यदि गहरे में सोचें
तो पाएंगे कि एक छोटी से छोटी उपलब्धि में
छिपे होते हैं अनेकानेक नाम
कितने ही परिचितों/अपरिचितों के
जो जाने/अनजाने जुड़ जाते हैं 
हमारे उस उपक्रम में

अकेले कुछ नहीं होता!
हम अकेले कुछ नहीं कर सकते!!                    

बड़ा ही महत्त्व है...




मौसम में जाडे़ का, खाँसी में गरारे का
पाजामे में नाडे़ का, युद्ध में नगाडे़ का
गाँव में हरकारे का, वृद्ध को सहारे का
इश्क में इशारे का, दुनिया में नजारे का
व्रती को चाँद-तारे का, मकान-मालिक को भाडे़ का
बड़ा ही महत्त्व है...


मेले में भीड़ का, सरोवर में नीर का 
सूफीज्म में फकीर का, मन्नत में पीर का 
पंछी के लिए नीड़ का, शायरी में मीर का
बड़ा ही महत्त्व है...


पढ़ाई में इम्तेहान का, पूजा में आह्वान का
सभा में विद्वान का, साधू में ज्ञान का
रिश्तों में सम्मान का, गीतों में राष्ट्रीय गान का
राह में अनजान का, दरिंदगी में हैवान का
बड़ा ही महत्त्व है...


चाँद के लिए चकोर का, पंछियों के लिए भोर का
नदी के लिए छोर का, मुसाफिर के लिए  ठौर का
बच्चों में शोर का, पतंग के लिए डोर का
बड़ा ही महत्त्व है...


हड़प्पा की खुदाई का, प्रेम  में जुदाई का
विवाह में सगाई का, बेटी की विदाई का
रिश्तों में जँवाई का, बहू को मुँह-दिखाई का
बाजे में शहनाई का, हाथ की लिखाई का
बड़ा ही महत्त्व है...




घरों में नाली का, खिड़कियों पर जाली का
ताले में ताली का, साहित्य में गाली का
बगिया में माली का, रिश्तों में साली का
गायन में कव्वाली का, कवि-सम्मेलन में ताली का
बड़ा ही महत्त्व है...


अवस्थाओं में जवानी का, जवानी में कहानी का
कहानी में नाना-नानी का, चेहरे में पानी का
पानी में रवानी का, बच्चों में नादानी का
बड़ा ही महत्त्व है...


दिलों में अरमान का, विवाह में कन्यादान का 
घर में सामान का, कमरे में रोशनदान का
भिखारी के लिए दान का, एकांत में शमशान का
बड़ा ही महत्त्व है...


खेल में खिलाड़ी का, ज्ञान में सिखाड़ी का
जुए में जुआरी का, जीत में अनाड़ी का
बड़ा ही महत्त्व है...


वेश्या के लिए यार का, दोस्ती में प्यार का
बाइक में रफ्तार का, चाकू में धार का 
दादागिरी में मार का, युद्ध में वार का
बड़ा ही महत्त्व है...


पूजा में आरती का, मोबाइल्स में भारती का
युद्ध में सारथी का, प्रार्थना-पत्र में प्रार्थी का
बड़ा ही महत्त्व है...


चुनावों में वादों का, जीत में इरादों का
मौसम में भादों का, शतरंज में प्यादों का
बड़ा ही महत्त्व है...


बहनों को सावन का, गवय्यों को गायन का
दही में जामन का, पार्टी में पीने-पिलावन का
बड़ा ही महत्त्व है...


युद्ध के लिए क्रांति का, सिद्धि के लिए शांति का
दरार के लिए भ्रांति का, दंगों में अशांति का
बड़ा ही महत्त्व है...


कहानी में किरदार का, जीवन में प्यार का
बागों में बहार का, नदी में मझधार का
बड़ा ही महत्त्व है...


लड़ाई में हाथ का, बाजार में फुटपाथ का
प्यार में जजबात का, थाने में हवालात का 
समाज में जात-पात का, गरीब को खैरात का
प्रेम में सौगात का, अपराध के लिए रात का
बड़ा ही महत्त्व है...

Sunday, 3 June 2012





माँ से मिल के
यूँ खिल उठा बच्चा
जैसे कमल

बच्चे को लगे
सबसे महफूज
माँ का आँचल

बच्चा करता
ज़िद चाँद छूने की
बचपन में

माँ की गोद में
बच्चा यूँ मुसकाए
नेह जगाए

इसमें दो मा
लगे बच्चों को प्यारा
यूँ चंदा मामा
   ******

Thursday, 17 May 2012

वर्जीनिया वुल्फ़




कुछ डरते तुझसे
कुछ करते स्नेह अपार
हे अंग्रेजी की
महान उपन्यासकार!
स्ट्रीम ऑफ कांशसनेस पर किया चमत्कार
अंग्रेजी साहित्य में पाई प्रतिष्ठा तूने अपार

पुरूष वर्चस्व के सामने कभी न झुकने वाली
महिलाओं के हितों हेतु निरंतर लडने वाली
कितनों ने ही तेरे खिलाफ तब साजिश रचाई
अपने लेखन से स्वयं तूने अपनी पहचान बनाई
मरी माँ और किया सभी का तूने पोषण
बचपन में ही हुआ तेरे संग यौन-शोषण
जीवन भर तू कहाँ उससे उभर सकी
हर कहीं लेखन में उसकी छाया दीखी
प्रेम-संबंधों के माया जाल ने तुझे भरमाया
कहाँ मिला वो कभी तुझे जो तूने चाहा
रही तरसती जीवन भर पाने को बच्चे
किए स्वीकृत जीवन ने दिए जो गच्चे
और एक दिन फिर अनकहे दर्दों की भोगी
बन गई अचानक तू एक मानसिक रोगी
किए बहुत उपचार मगर ना हालत सुधरी
मन की गति जो तेरी एक बार बिगडी
सहा सभी चुपचाप जो जीवन में तूने पाया
यूँ भी भावनाओं को तेरी कहाँ कोई समझ पाया
एक समय के बाद सभी ने तुझसे नाता तोडा
किया जिसे भी प्यार उसी ने दिल को तोडा
भीतर तेरे इस अहसास के ऐसे काले बादल छाए
मृत्यु-पर्यंत जो कभी ना छँटने पाए
और फिर एक दिन
हुआ वही जो ना होना था
भरा लबालब संयम का
जो तुझमें कोना था
और फिर...
खत्म हुई जीवन से आस
लेकर के एक अतृप्त प्यास
ह्र्दय हो उठा तेरा विदीर्ण
तार आशाओं के सब हुए क्षीण
चल पडी अनंत में होने को विलीन
पहन अपना रोएंदार, फर्र वाला कोट
भरकर जेब में भारी-भारी पत्थर
क्या सोचा होगा उन पल दुःखतर
जब पानी के भीतर गई चुपचाप उतर
फिर आत्मा शरीर से गई निकल
शांत हो गए सब भाव विकल
निष्प्राण और निस्पंद हो चुका तेरा शरीर
जा लगा तीन दिवस बाद आउज नदी के तीर

खत्म हो गई यूँ तेरी जीवन लीला
ये सोच दुःख होता कि गम यूँ क्यूँ तुझे मिला
सदा रहेगी लेखन में तू अपने अजर अमर
गाथा कहेंगे तेरी उपन्यास, डायरी और पत्र
अर्पित तुझको करते हम सब
अपने ये श्रद्धा शब्द सुमन        
ऐ वर्जीनिया वुल्फ  
                तुझको हमारा सादर नमन्!!      

Monday, 14 May 2012

कविता चली...



हाइकु कविताएं


कविता चली 
लेखक के मन से
पाठक तक

घर से दूर
अक्सर यूँ लगे हो
ज्यों बनवास

पकते फल 
निशाना लगाने को
पुकारते-से

माँ की गोद में
खिलखिलाता बच्चा
जैसे कमल

कविता बही
लेखक के मन से
काग़ज़ पर
   *****

Friday, 27 April 2012

माँ तुझे सलाम!



माँ से मिल के
यूँ खिल उठा बच्चा
जैसे कमल

बच्चे को लगे
सबसे महफूज
माँ का आँचल

बच्चा करता
ज़िद चाँद छूने की
बचपन में

माँ की गोद में
बच्चा यूँ मुसकाए
नेह जगाए

इसमें दो मा
लगे बच्चों को प्यारा
यूँ चंदा मामा.
      *****

Thursday, 26 April 2012

5 हाइकू


मिली कान्हा से
सब कुछ तज़ के
मीरा दीवानी

मैं रंग जाऊँ
बस तेरे रंग में
ओ घनश्याम

यूँ बनो बडे़
भूले नहीं कान्हा को
मित्र सुदामा

माँ सरस्वती
सदा कर निवास
तू मेरे पास

मैं रंग जाऊँ
बस तेरे रंग में
मेरे मुरारी 

Wednesday, 25 April 2012

कैसा चलन?




फैला ज़हर
सांप्रदायिकता का
नेता ले मौज़


भूखे ही पेट 
दिखाता खुशहाली
ओ चित्रकार


रोज बेधती 
पुरूषों की दृष्टि
नारी तन को


भूखे ही पेट 
बन गया त्यौहार
कैसी किस्मत


पाँच पाँडव
औ’ अकेली द्रौपदी
करती तृप्त

Tuesday, 24 April 2012

तुम से दूर





ओ हमदम
तुम ऐसे बिछुडे़
फिर ना मिले


तुम से दूर
अक्सर यूँ लगे हो
ज्यों बनवास


तुमने ही तो
समझा बेगाना-सा
हमको सदा


अब तो सारे
पर्व करें निराश
ना कोई पास


पिया-पिया की
मन करे रटन
पपीहा बन     


नहीं अपना
संबंधी, कोई खास
ज्यों बनवास.

Monday, 23 April 2012

दूध आन्दोलन पर 7 हाइकू


आज देश भर में दूध की कालाबाजारी के मुद्दे पर किसानों का आंदोलन चलाया जा रहा है! Zee News चैनल पर विस्तृत खबरें आ रही हैं! आज उसी पर कुछ हाइकू आपकी सेवा में पेश कर रहे हैं! सदा की भाँति आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित रहेगी, सधन्यवाद!

क्यों त्रहिमाम
कर रहे किसान
सड़कों पर

बहाया दूध
आज सड़कें फिर
हुईं सफेद

चल रही है
कैसी मुनाफाखोरी
दूध के नाम

जागे  किसान
आसमाँ छूने लगे
दूध के दाम

सड़कों पर
देश भर में बही
दूध की नदी

इस तरह
क्यों करें मनमानी
ये कंपनियाँ?

ना जाने कब
जागेगी सरकार
इस मुद्दे पे?