हमारे लिए ऊर्जा के परम-स्रोत...

Friday 27 April 2012

माँ तुझे सलाम!



माँ से मिल के
यूँ खिल उठा बच्चा
जैसे कमल

बच्चे को लगे
सबसे महफूज
माँ का आँचल

बच्चा करता
ज़िद चाँद छूने की
बचपन में

माँ की गोद में
बच्चा यूँ मुसकाए
नेह जगाए

इसमें दो मा
लगे बच्चों को प्यारा
यूँ चंदा मामा.
      *****

Thursday 26 April 2012

5 हाइकू


मिली कान्हा से
सब कुछ तज़ के
मीरा दीवानी

मैं रंग जाऊँ
बस तेरे रंग में
ओ घनश्याम

यूँ बनो बडे़
भूले नहीं कान्हा को
मित्र सुदामा

माँ सरस्वती
सदा कर निवास
तू मेरे पास

मैं रंग जाऊँ
बस तेरे रंग में
मेरे मुरारी 

Wednesday 25 April 2012

कैसा चलन?




फैला ज़हर
सांप्रदायिकता का
नेता ले मौज़


भूखे ही पेट 
दिखाता खुशहाली
ओ चित्रकार


रोज बेधती 
पुरूषों की दृष्टि
नारी तन को


भूखे ही पेट 
बन गया त्यौहार
कैसी किस्मत


पाँच पाँडव
औ’ अकेली द्रौपदी
करती तृप्त

Tuesday 24 April 2012

तुम से दूर





ओ हमदम
तुम ऐसे बिछुडे़
फिर ना मिले


तुम से दूर
अक्सर यूँ लगे हो
ज्यों बनवास


तुमने ही तो
समझा बेगाना-सा
हमको सदा


अब तो सारे
पर्व करें निराश
ना कोई पास


पिया-पिया की
मन करे रटन
पपीहा बन     


नहीं अपना
संबंधी, कोई खास
ज्यों बनवास.

Monday 23 April 2012

दूध आन्दोलन पर 7 हाइकू


आज देश भर में दूध की कालाबाजारी के मुद्दे पर किसानों का आंदोलन चलाया जा रहा है! Zee News चैनल पर विस्तृत खबरें आ रही हैं! आज उसी पर कुछ हाइकू आपकी सेवा में पेश कर रहे हैं! सदा की भाँति आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित रहेगी, सधन्यवाद!

क्यों त्रहिमाम
कर रहे किसान
सड़कों पर

बहाया दूध
आज सड़कें फिर
हुईं सफेद

चल रही है
कैसी मुनाफाखोरी
दूध के नाम

जागे  किसान
आसमाँ छूने लगे
दूध के दाम

सड़कों पर
देश भर में बही
दूध की नदी

इस तरह
क्यों करें मनमानी
ये कंपनियाँ?

ना जाने कब
जागेगी सरकार
इस मुद्दे पे?

Tuesday 17 April 2012

5 हाइकु


उम्र बढ़ती
घटती प्रतिपल
यह ज़िंदगी
        * 
कैसा विकास
आदमी को आदमी
काटता आज
       *
जवान बेटी
अँखियों में सपने
बेबस पिता
      *
मैं और तुम
यूँ रहे पास जैसे
पृथ्वी-आकाश
       *
खिले पलाश
कटे हुए पेड़-सा
मन उदास
     ***

नियति



अण्डे का कवच फोड़
गुलगुले माँस के लोथडे़ से
गर्दन निकाल
अभी मुश्किल से
एक दृष्टि भर
देखना चाहा ही था
उसने प्रकृति को
तभी कहीं से
आई एक चील
और ले गई उसे
अपनी चोंच में उठाकर
सोचती हूँ शायद
यही थी उसकी नियति
आँखें खुलने के साथ ही
लिखी थी मृत्यु